Last Updated on October 30, 2025
   
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बिहार चुनाव स्पेशल: रघुनाथपुर सीट पर दो पीढ़ियों की जंग, विरासत Vs बदलाव

बिहार के रघुनाथपुर में राजद के ओसामा शहाब और जदयू के विकास कुमार सिंह के बीच मुकाबला है. ओसामा, शहाबुद्दीन की विरासत संभाल रहे हैं, जबकि विकास बदलाव का नारा दे रहे हैं.

2025-10-30
News

बिहार की राजनीति में आज रघुनाथपुर विधानसभा सीट पर दो पीढ़ियों की जंग तेज रंग ले रही है. एक ओर परिवारवाद और विरासत की दावेदार छवि लिए राजद के प्रत्याशी ओसामा शहाब, और दूसरी ओर बदलाव का नारा लिए NDA के जेडीयू प्रत्याशी विकास कुमार सिंह (जीशु सिंह) मैदान में हैं.

सीट की पृष्ठभूमि और राजनीतिक संवेदनशीलता को देखते हुए दोनों पक्षों ने अपने-अपने तेवर तेज कर दिए हैं. रघुनाथपुर की राजनीति में कभी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की कर्मभूमि और बाद में बाहुबली शहाबुद्दीन की छवि रही है. आज वही विरासत उसके पुत्र ओसामा के रूप में चुनावी कसौटी पर खड़ी है.

ओसामा बिन लादेन से प्रेरित बताया जाता रहा है ओसामा का नाम जेडीयू के विकास सिंह ने कहा कि वे चुनाव नहीं लड़ रहे बल्कि “रघुनाथपुर के मालिक लड़ रहे हैं” और मतदाताओं का आशीर्वाद चाहिए. विकास ने विपक्ष पर अपराधियों के समर्थन का आरोप लगाते हुए कहा कि “अपराधी और अपराध से हमारी सरकार ने कभी समझौता नहीं किया और न करेगी” तथा चेतावनी दी कि गलत तरीके से संपत्ति कमाने वालों का हिसाब बुलडोजर से होगा. विकास ने ओसामा के नामकरण को लेकर भी विवादित टिप्पणी की और कहा कि ओसामा का नाम ओसामा बिन लादेन से प्रेरित बताया जाता रहा है.

स्थानीय जनता ओसामा के साथ है एकजुट वहीं राजद के समर्थन में सक्रिय मौजूदा विधायक हरिशंकर यादव ने कहा कि ओसामा शहाब का जनाधार मजबूत है. उनके शब्दों में, “हवा नहीं, आंधी है ओसामा शहाब की” और वे ओसामा को पढ़ा-लिखा और विकास पुरुष के पुत्र बताते हुए लोगों के विश्वास की बात कर रहे हैं. हरिशंकर यादव ने यह भी कहा कि स्थानीय जनता ओसामा के साथ एकजुट है और वे जीत सुनिश्चित करने के लिए अभियान चला रहे हैं.

स्थल पर माहौल मिश्रित दिखाई देता है. कुछ लोग पुराने दौर की ही बातों को भुलाकर नई शुरुआत चाहते हैं, जबकि दूसरे विरासत को बरकरार रखने के पक्ष में हैं. दोनों ही तरफ के भाषणों में निजी आरोप-प्रत्यारोप और भावनात्मक अपील प्रमुख रहे.

राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि रघुनाथपुर के नतीजे केवल इस विधानसभा सीट तक सीमित नहीं रहेंगे; यह बिहार में वंशवाद बनाम नव उभरते नेताओं की लड़ाई का प्रतीक बनकर उभर रही है. परिणाम चाहे जो भी हों, इस चुनाव की गूंज पूरे प्रदेश में सुनाई देगी.


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