बिहार में दलितों की स्थिति को उजागर करते हुए NACDAOR ने एक रिपोर्ट जारी की. इस रिपोर्ट में बताया गया कि बिहार में दलित हाशिए पर हैं और बदलाव चाहते हैं. वह वर्तमान स्थिति से नाराज हैं, इसलिए नीतीश कुमार से दूर जा सकते हैं. इस रिपोर्ट में बताया गया है कि शिक्षा, स्वास्थ्य या रोजगार में बिहार में दलितों को किस तरह हाशिए पर रखा गया है.
बिहार में दलितों की स्थिति जानने के लिए राष्ट्रीय दलित एवं आदिवासी संगठन परिसंघ (NACDAOR) के अध्यक्ष अशोक भारती ने बुधवार को एक रिपोर्ट जारी की. उन्होंने इस रिपोर्ट का टाइटल ‘दलित क्या चाहते हैं’ रखा. यह रिपोर्ट जारी करते हुए उन्होंने कहा कि बिहार में दलित हाशिए पर हैं और बदलाव के लिए अधीर हैं. उन्होंने कहा कि बिहार के दलित नीतीश कुमार से नाराज हैं और वे इस बार के चुनाव में उनसे दूर जा सकते हैं
रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में अनुसूचित जाति (SC) कुल आबादी का 19.65% हिस्सा हैं, लेकिन लगातार हो रही असामनताओं की वजह से उन्हें उनका उचित हिस्सा नहीं मिल पा रहा है. रिपोर्ट जारी करते हुए भारती ने कहा कि चाहे शिक्षा हो, स्वास्थ्य हो या रोजगार, बिहार में दलित पूरी तरह से हाशिए पर हैं और वह इस वर्तमान स्थिति के खिलाफ हैं.
नीतीश कुमार से दूर जा रहे हैं दलित
रिपोर्ट से पता चलता है कि इस बार के चुनाव में दलित अहम भूमिका निभाएंगे. भारती ने कहा कि बिहार में दलित अधीर हैं और बदलाव की ओर बढ़ रहे हैं. उन्होंने कहा कि हालांकि, मैं यह नहीं कह सकता कि वे किस तरफ जाएंगे. उन्होंने आगे कहा कि ऐसा लगता है कि वे मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से नाराज हैं और उनसे दूर जा रहे हैं.
बिहार में सबसे ज्यादा दलित बिना पढ़े-लिखे
रिपोर्ट के मुताबिक, बिहार में दलित साक्षरता 55.9% है, जो इस समुदाय के राष्ट्रीय औसत 66.1% से काफी कम है. उन्होंने बताया कि बिहार में लगभग 62% दलित अभी भी पढ़े-लिखे नहीं हैं. रिपोर्ट में बताया गया है कि मुसहर समुदाय की स्थिति और भी गंभीर है, जिनकी साक्षरता दर 20% से भी कम है, जो भारत में किसी भी जाति समूह में सबसे कम है.
शिक्षा मंत्रालय द्वारा जारी किए जाने वाले वार्षिक सर्वेक्षण, अखिल भारतीय उच्च शिक्षा सर्वेक्षण, का हवाला देते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि 19.65% आबादी और 17% संवैधानिक आरक्षण के बावजूद, केवल 5.6% शिक्षक और छात्र दलित हैं.
सरकारी नौकरी में केवल 1.3% लोग
रिपोर्ट में कहा गया है कि लगभग 63.4% दलित गैर-मजदूर हैं, जिनमें अधिकतर महिलाएं और युवा शामिल हैं. जो लोग काम करते हैं उनमें 46% लोग ऐसे हैं, जिन्हें साल में छह महीने से भी कम काम मिलता है. केवल 21% लोगों के पास ही पूरे साल का रोजगार है, जो अक्सर भूमिहीन मजदूरों या दिहाड़ी मजदूरों के रूप में होता है. सरकारी नौकरी की बात करें तो बिहार में केवल 1.3% दलित ही सरकारी नौकरियों में हैं.
अत्याचार के सबसे अधिक मामले
रिपोर्ट के मुताबिक, 2010 से 2022 के बीच, बिहार में दलितों पर अत्याचार के 85 हजार से भी ज्यादा मामले दर्ज किए गए. इसका मतलब है कि हर एक दिन में दलितों के खिलाफ 17 ऐसी घटनाएं होती हैं.
बिहार में विधानसभा चुनाव दो चरणों में होंगे, पहले चरण के चुनाव 6 नवंबर को और दूसरे चरण के चुनाव 11 नवंबर को होंगे, वहीं मतगणना 14 नवंबर को होगी. इस बार के चुनाव में नीतीश कुमार की एनडीए सरकार और आरजेड व कांग्रेस सहित विपक्षी दलों के बीच सीधा मुकाबला होगा.
For clarifications/queries, please contact Public Talk of India at:
+91-98119 03979 publictalkofindia@gmail.com
![]()
For clarifications/queries,
please contact Public Talk of India at: