पटना: बिहार में लालू प्रसाद यादव और राबड़ी देवी के 15 साल के शासन पर लालू के साले साधु और सुभाष यादव का प्रभाव छाया रहा । S1 और S2 के नाम से मशहूर ये दोनों उस दौर की ज्यादतियों के प्रतीक बन गए, जिससे परिवार को अंततः खुद को उनसे दूर करना पड़ा। फिर भी, लालू के शासनकाल की किसी भी चर्चा में यह जोड़ी अभी भी छाई रहती है। दो दशक बाद, यादव परिवार एक नए विवाद से जूझ रहा है - इस बार विवाद लालू प्रसाद के चुने हुए उत्तराधिकारी तेजस्वी यादव पर केंद्रित है। उन्होंने अपने सलाहकार के तौर पर हरियाणा के संजय यादव को चुना है जो राजद से राज्यसभा सांसद भी हैं। इस तरह से लालू परिवार में S3 की एंट्री हो चुकी है। परिवार की सबसे छोटी संतान तेजस्वी यादव को लालू यादव ने 2015 में बतौर उत्तराधिकारी चुना था। जबकि उनकी बहन मीसा भारती पहले ही लोकसभा चुनाव लड़ चुकी थीं और उनके बड़े भाई तेजप्रताप सीनियर थे। उस साल जब महागठबंधन की सरकार बनी, तो इस बात पर बहस छिड़ गई कि तेजस्वी के अलावा नीतीश कुमार के मंत्रिमंडल में किसे शामिल किया जाना चाहिए। आखिरकार, तेज प्रताप को मंत्री बनाया गया, जबकि तेजस्वी उपमुख्यमंत्री बने।
2025 में रोहिणी चुनौती
2024 के लोकसभा चुनावों में, लालू प्रसाद ने अपनी बड़ी बेटी मीसा भारती को पाटलिपुत्र से और अपनी छोटी बेटी रोहिणी आचार्य को सारण से मैदान में उतारा। मीसा स्वाभाविक पसंद थीं, क्योंकि वे पहले भी चुनाव लड़ चुकी हैं, जबकि रोहिणी की उम्मीदवारी को व्यापक रूप से उनके पिता को किडनी दान करने की उनकी प्रतिबद्धता को स्वीकार करने के रूप में देखा गया था। हालांकि रोहिणी ने तब खंडन करते हुए कहा था कि सारण का टिकट स्थानीय लोगों द्वारा मांगा गया था। हालांकि रोहिणी हार गईं, फिर भी वे सोशल मीडिया पर सक्रिय रहीं, पार्टी की उपलब्धियों को उजागर करती रहीं और अक्सर नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी पर हमला बोलती रहीं।
रोहिणी ने S3 यानी संजय यादव पर जड़े आरोप
2025 के विधानसभा चुनावों से पहले, रोहिणी का कहना है कि उन्हें प्रचार के लिए बुलाया गया था। इसी के बाद जब 14 नवंबर को नतीजे आए तो रात में एयरपोर्ट पर रोहिणी आचार्य ने तेजस्वी यादव के सहयोगी और अब लालू परिवार में S3 बने संजय यादव पर आरोपों की झड़ी लगा दी। उस रात लालू आवास में क्या हुआ, इसके बारे में ठीक-ठाक से अंदर मौजूद लोग ही बता सकते हैं लेकिन रोहिणी के अनुसार उन पर चप्पल तक चलाई गई। लेकिन परिवार के बाकी सदस्यों ने चुप्पी साध ली।
2020 से तेज प्रताप की गाथा
2020 के विधानसभा चुनावों से ठीक पहले, ऐश्वर्या राय से तेज प्रताप यादव की शादी को लेकर विवाद छिड़ गया और पूरे चुनाव प्रचार में छाया रहा। ऐश्वर्या के पिता, वरिष्ठ नेता चंद्रिका राय को जदयू ने परसा से टिकट दिया था, और वह अक्सर मंचों पर लालू परिवार पर उत्पीड़न का आरोप लगाते हुए दिखाई देते थे। यहां तक कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी इसे पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा प्रसाद राय की पोती का अपमान बताया था। चंद्रिका राय अंततः राजद के छोटे लाल राय से हार गए, लेकिन तब से यह विवाद तेज प्रताप और उनके परिवार पर छाया हुआ है। चल रहे तलाक के मामले के बीच, तेज प्रताप ने मई में अनुष्का यादव नाम की एक महिला के साथ एक तस्वीर पोस्ट की, जिसमें उन्होंने 12 साल पुराने रिश्ते का दावा किया। जल्द ही और तस्वीरें और वीडियो सामने आए, जिससे परिवार मुश्किल में पड़ गया। लालू प्रसाद ने अपने बड़े बेटे को पार्टी से अलग कर दिया और उसे 6 साल के लिए राजद से निष्कासित कर दिया।
तेज प्रताप अलग राह पर, लेकिन उनकी तीखी नजरें भी S3 पर
2025 के चुनावों से पहले, तेज प्रताप ने अपनी पार्टी, जनशक्ति जनता दल, बनाई और कई सीटों पर उम्मीदवार उतारे। महुआ से चुनाव लड़ते हुए - जहां से 2020 में राजद के मुकेश रौशन जीते थे - उन्होंने लगभग 35,000 वोट हासिल किए और तीसरे स्थान पर रहे, जिससे वोटों का बंटवारा हुआ और राजद को सीट गंवानी पड़ी। इसके बाद से उन्होंने रोहिणी आचार्य का समर्थन किया है और इस बात की जाँच की माँग की है कि क्या पार्टी में उनके माता-पिता को मानसिक रूप से प्रताड़ित किया जा रहा है। तेज प्रताप यादव संजय यादव पर लगातार हमला करते रहे हैं और उन्हें जयचंद कहते रहे हैं।
तेजस्वी के लिए चुनौती
तेजस्वी के लिए अब चुनौती सिर्फ विरोधी NDA ही नहीं बल्कि अब खुद उनके परिवार के सदस्य हैं। 2025 में राजद अपने बेहद ही खराब प्रदर्शन के बाद आलोचना झेल रही है। वहीं संजय यादव के खिलाफ लालू आवास के बाहर राजद समर्थक नारेबाजी तक कर चुके हैं। अब इस परिस्थिति में क्या S3 तेजस्वी को आगे ले जाएंगे या उनका हाल भी S1, S2 के कार्यकाल के दौरान लालू-राबड़ी सरकार जैसा होगा? अब वो इस दौर में कैसे आगे बढ़ते हैं, यह न केवल राजद की दिशा तय करेगा, बल्कि लालू यादव परिवार का राजनीतिक भविष्य भी तय करेगा।
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