Last Updated on September 16, 2025
   
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Bihar Assembly Election: 1967 तक कांग्रेस का गढ़ रहा कुढ़नी, अब RJD और BJP के बीच सीधी टक्कर


2025-09-16
News

मुजफ्फरपुरः मुजफ्फरपुर जिले की सीमा कुढ़नी विधानसभा सीट से ही शुरू होती है। मुजफ्फरपुर शहर से पहले नेशनल हाईवे 77 पर दोनों तरफ कुढ़नी विधानसभा का इलाका आता है। वैशाली जिले की सीमा से सटा कुढ़नी खेती किसानी वाला इलाका है। 93 कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र के चुनाव के गणित पर आज हम चर्चा करेंगे।

1952 के पहले चुनाव में कांग्रेस कपिल देव को मिली जीत

1951 में कुढ़नी विधानसभा क्षेत्र का गठन किया गया और 1952 के पहले चुनाव में कांग्रेस के कपिल देव नारायण सिंह के रूप में कुढ़नी विधानसभा को अपना पहला विधायक मिला, जो 1957 के चुनाव में दोबारा से विजेता हुए। 1962 के चुनाव में राम गुलाम चौधरी और 1967 के चुनाव में कृष्ण नंदन सहाय कांग्रेस से ही जीत कर कुढ़नी का प्रतिनिधित्व करते रहे, 1969 के उप चुनाव में साधु शरण शाही प्रज्ञा सोशलिस्ट पार्टी से जीते और उन्होंने 1980 तक कुढ़नी का प्रतिनिधित्व किया।

1985 में शिवनंदन राय को मिली हार

1985 के चुनाव में शिवनंदन राय से साधु शरण शाही को हार का सामना करना पड़ा। 1990 के चुनाव में एक बार फिर साधु शरण शाही शिवनंदन राय को पछाड़ते हुए कुढ़नी के विधायक बने। पर मात्र एक साल के बाद ही उनका दुखद निधन हो गया। 1991 ने हुए उपचुनाव में राम परीक्षण साहू एक बार फिर से कुढ़नी के विधायक बने। 1995 में हुए चुनाव में राम परीक्षण साहू को बसावन प्रसाद भगत के हाथों हार का सामना करना पड़ा।

2020 में केदार गुप्ता को अनिल साहनी ने हराया

2000 के चुनाव में बसावन भगत ने अपनी जीत को बरकरार रखा पर 2005 में मनोज सिंह कुशवाहा जेल से चुनाव लड़े और जीत हासिल की। इसी वर्ष दोबारा हुए उपचुनाव में एक बार फिर मनोज सिंह कुशवाहा विजेता बन कर उभरे और 2010 के चुनाव में भी उन्हें कुढ़नी कि जनता ने भरपूर सहयोग किया और एक बार फिर से जीत हासिल कर उनकी हैट्रिक पूरी हुई। 2015 के चुनाव में केदार प्रसाद गुप्ता के हाथों मनोज कुशवाहा को हार का सामना करना पड़ा पर 2020 के चुनाव में केदार प्रसाद गुप्ता को अनिल कुमार साहनी से हार का सामना करना पड़ा।

उपचुनाव में केदार प्रसाद गुप्ता फिर से विधायक बने

2020 के विधानसभा चुनाव में कुढ़नी सीट पर राजद उम्मीदवार डा. अनिल सहनी की जीत हुई थी। मगर टिकट घोटाले के भ्रष्टाचार के आरोप में राजद के डा. अनिल सहनी की विधायकी जाने के बाद उपचुनाव की नौबत आ गई। ऐसे में सत्तारूढ़ महागठबंधन के सामने इस सीट को बचाने की चुनौती आ गई तो राजद ने अपनी सीट को जदयू को सौंप दिया और तब जदयू ने तीन बार के विजेता मनोज सिंह कुशवाहा को एक बार फिर से मैदान में भाजपा प्रत्याशी केदार प्रसाद गुप्ता के खिलाफ उतार दिया। 2020 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के उम्मीदवार केदार प्रसाद गुप्ता महज 712 मतों से कुढ़नी में चुनाव हार गए थे। अपनी उस हार का बदला लेने का जब उन्हें मौका उपचुनाव में मिला तो उन्होंने पांच गुना वोटों के अंतर से जदयू प्रत्याशी मनोज कुशवाहा को 3632 मतों से हराया और कुढ़नी के विधायक बन गए। केदार प्रसाद गुप्ता को उनकी जीत के साथ मंत्री पद भी बाद के दिनों में मिला और वह बिहार सरकार में पंचायती राज मंत्री बनाए गए।


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