बिहार की नई कैबिनेट के गठन के बाद राजनीति एक बार फिर तेज हो गई है. उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश को बिना विधायक या विधान परिषद सदस्य बने सीधे मंत्री बनाए जाने पर विपक्ष ने एनडीए को घेरना शुरू कर दिया है. कांग्रेस और आरजेडी ने इसे एनडीए के परिवारवाद पर दोहरा रवैया बताते हुए तीखा प्रहार किया है.
विपक्ष के इन हमलों के बाद बिहार की राजनीति में नई बहस छिड़ गई है. सवाल यह है कि क्या दीपक प्रकाश के मंत्री बनने से एनडीए की परिवारवाद विरोधी छवि को झटका लगेगा या एनडीए इसे युवाओं को मौका देने के फैसले के रूप में पेश कर पाएगा. फिलहाल तो विपक्ष ने अनाथ वाले तंज से इस मुद्दे को गरमा दिया है.
दीपक प्रकाश को किस आधार पर बनाया गया मंत्री?- राजेश राठौड़
कांग्रेस प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि एनडीए हमेशा परिवारवाद का आरोप लगाता है, लेकिन कल एक अनाथ को मंत्री पद की शपथ दिला दी गई. क्या यह परिवारवाद नहीं है? राठौड़ ने इशारा साफ किया कि उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक न तो विधायक हैं और न ही किसी सदन के सदस्य. इसके बावजूद उन्हें मंत्री पद दे दिया गया. उन्होंने सवाल उठाया कि अब एनडीए परिवारवाद पर क्या जवाब देगा?
एनडीए में चल रहा परिवारवाद का खेल- शक्ति सिंह
आरजेडी प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने भी एनडीए पर पलटवार किया. उन्होंने कहा कि पहले एनडीए हमारे ऊपर उंगलियां उठाता था, लेकिन अब अपने दल को देखना चाहिए. उन्होंने पुराने उदाहरण देते हुए कहा कि पहले शकुनी चौधरी सांसद थे और उनकी पत्नी विधायक थीं, तो उन्होंने कम उम्र में सम्राट चौधरी को मंत्री बनवा दिया. आज वही काम उपेंद्र कुशवाहा कर रहे हैं. वे खुद राज्यसभा सांसद हैं, पत्नी विधायक हैं और बेटे को बिना किसी सदन का सदस्य बनाए मंत्री बनवा दिया. एनडीए में परिवारवाद का खेल चल रहा है.
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