लाल किला बम धमाके की घटना के बाद सुरक्षा एजेंसियों द्वारा अल-फलाह यूनिवर्सिटी की चल रही जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं. जांच टीम ने अब तक यूनिवर्सिटी के 12 से ज्यादा स्टाफ और संबंधित लोगों से पूछताछ की है, लेकिन ज्यादातर बयानों में गंभीर विरोधाभास पाए गए हैं, जिसने एजेंसियों की शंका और बढ़ा दी है.
जांच में यह भी खुलासा हुआ है कि संदिग्धों के सोशल मीडिया अकाउंट (फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स) अचानक डीएक्टिवेट कर दिए गए हैं. कई लोगों के मोबाइल फोन भी लगातार स्विच्ड ऑफ आ रहे हैं. इससे यह शक गहराता जा रहा है कि धमाके के बाद किसी संगठित साजिश को छिपाने की कोशिश की जा रही है.
कई डॉक्टर और स्टाफ धमाके के बाद से गायब
सबसे हैरान करने वाली बात यह है कि यूनिवर्सिटी से जुड़े कई डॉक्टर और स्टाफ धमाके के बाद से संदिग्ध परिस्थितियों में गायब हैं. एजेंसियों का मानना है कि इनमें से कुछ लोग साजिश में सीधे तौर पर शामिल हो सकते हैं या उन्हें इसकी जानकारी हो सकती है.
2 लाख रुपये से अधिक वाले कई बैंक खातों की जांच शुरू
इसके साथ ही जांच टीम ने 2 लाख रुपये से अधिक वाले कई बैंक खातों की जांच शुरू कर दी है. शुरुआती जांच में कुछ ट्रांजेक्शन संदिग्ध पाए गए हैं, जिनके जरिए किसी बड़े नेटवर्क के जुड़े होने की संभावना जताई जा रही है. जांच एजेंसियों का कहना है कि यूनिवर्सिटी से जुड़े कई पहलू अब संदेह के दायरे में हैं और आने वाले दिनों में कई और बड़े खुलासे हो सकते हैं.
किराए के कमरे में चल रहा था विस्फोटक बनाने का काम
जम्मू-कश्मीर के पुलवामा के रहने वाले गनई फरीदाबाद में एक किराए के कमरे को गुप्त लैब की तरह इस्तेमाल कर रहा था. वह आटा चक्की से यूरिया को बारीक पीसता था और फिर इलेक्ट्रिक मशीनों की मदद से उसे रिफाइन कर ऐसा केमिकल तैयार करता था जिसका इस्तेमाल विस्फोटक बनाने में होता है.
9 नवंबर को पुलिस ने छापेमारी कर इसी कमरे से 360 किलो अमोनियम नाइट्रेट सहित बड़ी मात्रा में विस्फोटक सामग्री बरामद की थी. पूछताछ में गनई ने स्वीकार किया कि वह काफी समय से इसी प्रक्रिया के जरिए यूरिया से अमोनियम नाइट्रेट अलग कर विस्फोटक तैयार कर रहा था. जांच में यह भी सामने आया कि गनई फरीदाबाद की अल-फलाह यूनिवर्सिटी में डॉक्टर के पद पर कार्यरत था.
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