पटना: बिहार के मुख्य सचिव प्रत्यय अमृत ने सोमवार को बिहार और झारखंड की अंतरराज्यीय सिंचाई और जल संसाधन योजना पर चिंता जताई। दरअसल प्रत्यय अमृत करोड़ों रुपयों की उत्तर कोयल जलाशय परियोजना के पर बैठक कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने औरंगाबाद और गया जिलों में भूमि अधिग्रहण की धीमी गति पर चिंता व्यक्त की।
पीएम कर रहे परियोजना की निगरानी
एक हफ्ते के भीतर कोयल परियोजना की दूसरी उच्च-स्तरीय समीक्षा बैठक में, अमृत ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस परियोजना की नियमित निगरानी कर रहे हैं। उन्होंने औरंगाबाद और गया के जिलाधिकारियों से कहा कि वे इस साल 15 दिसंबर तक किसी भी कीमत पर भूमि अधिग्रहण पूरा कर लें। उन्होंने वित्त विभाग के अधिकारियों को भूमि अधिग्रहण के भुगतान से जुड़े मुद्दों को बिना किसी देरी के हल करने का भी निर्देश दिया।
जानिए, कितना खर्च आएगा
कोयल परियोजना पर कुल 1,367 करोड़ रुपये का खर्च आएगा। इसमें 60 फीसदी रकम केंद्र सरकार देगी, जबकि खर्च का 40 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार को देना है। इसमें झारखंड के डाल्टनगंज जिले के कुटकू गांव में एक जलाशय का निर्माण, तथा औरंगाबाद और गया से गुजरने वाली दायीं और बायीं मुख्य नहरों का निर्माण शामिल है। प्रत्यय अमृत द्वारा की गई समीक्षा में जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव संतोष कुमार मल्ल, वित्त विभाग के विशेष सचिव मुकेश कुमार लाल , राजस्व एवं भूमि सुधार निदेशक (भूमि अर्जन) कमलेश कुमार सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। औरंगाबाद और गया के जिलाधिकारी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित थे।
जानिए कहां तक पहुंचा कोयल परियोजना का काम
अपने प्रस्तुतीकरण में, जल संसाधन विभाग के प्रधान सचिव ने बताया कि औरंगाबाद और गया में अधिग्रहित की जाने वाली 138 हेक्टेयर भूमि में से अब तक केवल 32.430 हेक्टेयर भूमि ही अधिग्रहित की जा सकी है। औरंगाबाद में 41.251 हेक्टेयर लक्ष्य के विरुद्ध 27.080 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जा चुकी है। गया जिले में 96.749 हेक्टेयर लक्ष्य के विरुद्ध 5.350 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहित की जा चुकी है। उत्तरी कोयल दाहिनी मुख्य नहर का संयुक्त निरीक्षण पूरा हो चुका है और पोल-शिफ्टिंग का काम तेज़ कर दिया गया है। परियोजना से संबंधित सामाजिक प्रभाव मूल्यांकन कार्य का भुगतान भी एशियाई विकास अनुसंधान संस्थान (आद्री), पटना को कर दिया गया है।
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